नेटफ्लिक्स की चर्चित थ्रिलर “ये काली काली आँखें” का दूसरा सीजन दर्शकों के लिए रोमांच और सस्पेंस से भरपूर अनुभव लेकर आया है। सिद्धार्थ सेनगुप्ता द्वारा निर्देशित यह सीरीज राजनीति, जुनून, और मानवीय कमजोरियों के गहरे चित्रण के साथ एक बार फिर अपनी पहचान बनाती है। पहले सीजन में जहां क्लिफहैंगर अंत ने दर्शकों की उत्सुकता को चरम पर पहुंचाया था, वहीं दूसरा सीजन उन उम्मीदों पर खरा उतरता है।
कहानी: विक्रांत के संघर्ष और साजिशों का नया दौर
कहानी की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पहला सीजन खत्म हुआ था। पुरवा (आंचल सिंह) का अपहरण विक्रांत (ताहिर राज भसीन) के जीवन को और भी उलझा देता है। इस बार उसे न केवल अपने ससुर अखेराज अवस्थी (सौरभ शुक्ला) के गुस्से और शक से निपटना है, बल्कि उसे गुरु (गुरमीत चौधरी) जैसे नए खतरनाक किरदार का भी सामना करना पड़ता है।
विक्रांत का एकमात्र मकसद है अपनी प्रेमिका शकुंतला (श्वेता त्रिपाठी) को बचाना और इस खतरनाक सत्ता संघर्ष से बाहर निकलना। लेकिन परिस्थितियां उसे बार-बार मजबूर करती हैं कि वह अपने नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर निर्णय ले।
पुरवा, जो पहले सीजन में सिर्फ एक जुनूनी प्रेमिका के रूप में दिखाई दी थी, इस सीजन में और अधिक जटिल हो जाती है। वहीं अखेराज अवस्थी का किरदार सत्ता और राजनीतिक दबदबे का जीता-जागता उदाहरण है, जो किसी भी हद तक जाकर अपने परिवार की रक्षा करना चाहता है।
मुख्य पात्र और उनकी भूमिकाएं
ताहिर राज भसीन (विक्रांत)
ताहिर ने विक्रांत के किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है। विक्रांत की यात्रा, जिसमें वह एक साधारण व्यक्ति से एक मजबूर अपराधी बनने की राह पर चलता है, बेहद प्रभावशाली है। उनके अभिनय में जिस तरह की इमोशनल गहराई और नैतिक संघर्ष झलकता है, वह दर्शकों को उनके साथ जोड़ता है।
आंचल सिंह (पुरवा)
आंचल सिंह ने पुरवा के किरदार को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। उनकी भूमिका इस बार सिर्फ एक जुनूनी प्रेमिका तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अपने चरित्र में मजबूती और रहस्यमयता भी जोड़ती हैं। उनका अभिनय दर्शकों को एक पल के लिए भी स्क्रीन से हटने नहीं देता।
सौरभ शुक्ला (अखेराज अवस्थी)
सौरभ शुक्ला का दमदार अभिनय इस सीजन को और भी बेहतर बनाता है। उनका किरदार एक शक्तिशाली राजनीतिज्ञ का है, जो अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता है। सौरभ का व्यक्तित्व और उनकी संवाद अदायगी हर दृश्य को जीवंत बना देती है।
गुरमीत चौधरी (गुरु)
गुरमीत इस सीजन में एक रहस्यमयी और खतरनाक किरदार के रूप में एंट्री करते हैं। गुरु का व्यक्तित्व कई परतों में लिपटा हुआ है, और यह कहानी को और भी रोमांचक बनाता है।
श्वेता त्रिपाठी (शकुंतला)
हालांकि इस बार शकुंतला का स्क्रीन टाइम कम है, लेकिन श्वेता ने अपनी भूमिका को प्रभावशाली तरीके से निभाया है। उनका किरदार विक्रांत की कमजोरियों और इंसानियत का प्रतीक है।
निर्देशन और निर्माण
निर्देशक: सिद्धार्थ सेनगुप्ता
सिद्धार्थ सेनगुप्ता ने इस सीजन को अपनी कुशल निर्देशन शैली से और भी मनोरंजक और रोमांचक बना दिया है। कहानी में हर मोड़ अप्रत्याशित और चौंकाने वाला है। उनका फोकस न केवल थ्रिलर एलीमेंट्स पर है, बल्कि किरदारों की भावनात्मक जटिलताओं को भी खूबसूरती से दिखाया गया है।
निर्माता: एजस्टॉर्म प्रोडक्शंस
एजस्टॉर्म प्रोडक्शंस के बेहतरीन प्रोडक्शन डिजाइन ने शो को एक सिनेमैटिक अनुभव का एहसास दिया है। छोटे शहर की पृष्ठभूमि, ग्रे शेड्स और लोकेशन की वास्तविकता कहानी में गहराई जोड़ती है।
सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक
इस सीजन की सिनेमैटोग्राफी कहानी का सबसे मजबूत पहलू है। उत्तर भारत के छोटे शहरों के ग्रामीण और राजनीतिक माहौल को बखूबी कैमरे में कैद किया गया है।
म्यूजिक भी कहानी में रोमांच और इमोशनल ड्रामा को बढ़ाने का काम करता है। बैकग्राउंड स्कोर, खासकर तनावपूर्ण दृश्यों में, दर्शकों को बांधे रखने में पूरी तरह सफल है।
बजट और तकनीकी पक्ष
इस सीरीज का बजट भले ही सार्वजनिक न हो, लेकिन प्रोडक्शन वैल्यू और कास्टिंग को देखकर यह स्पष्ट है कि इसे बड़े पैमाने पर बनाया गया है। हाई-क्वालिटी सिनेमैटोग्राफी, एक्शन सीक्वेंस, और शानदार लोकेशंस इसे किसी भी बॉलीवुड थ्रिलर फिल्म से कम नहीं बनाते।
कमजोर पक्ष
हालांकि “ये काली काली आँखें” का दूसरा सीजन अपने सस्पेंस और ड्रामा से दर्शकों को बांधे रखता है, लेकिन कुछ हिस्सों में कहानी थोड़ी धीमी महसूस होती है।
- कुछ दर्शकों को कुछ प्लॉट ट्विस्ट पूर्वानुमानित लग सकते हैं।
- शकुंतला जैसे अहम किरदार को अधिक स्क्रीन टाइम दिया जा सकता था।
- कुछ सहायक किरदारों की गहराई में कमी महसूस होती है।
कहां देखें?
“ये काली काली आँखें” सीजन 2 को आप नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर सकते हैं।
IMDb रेटिंग
इस सीजन को IMDb पर 7.0/10 की प्रभावशाली रेटिंग मिली है। यह दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और शो की क्वालिटी को दर्शाता है।
निष्कर्ष
“ये काली काली आँखें” सीजन 2 एक बेहतरीन थ्रिलर है, जो सस्पेंस, इमोशन और राजनीति का अनोखा मिश्रण पेश करती है। शो की मजबूत कहानी, दमदार अभिनय, और शानदार निर्देशन इसे अवश्य देखने लायक बनाते हैं।
अगर आप सस्पेंस और थ्रिलर के शौकीन हैं, तो यह सीजन आपको निराश नहीं करेगा।
रेटिंग: 4.5/5
India Speak News के लिए विशेष समीक्षा।